भागलपुर, अगस्त 10 -- प्रस्तुति : आलोक कुमार सिंह कच्चा सोना कहे जाने वाला केला अब किसानों के लिए परेशानी बन गया है। दशकों पहले यहां बड़े पैमाने पर खेती होती थी, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं और पनामा विल्ट रोग ने किसानों को हतोत्साहित कर दिया। रोग से बचाव के कई प्रयास असफल रहे, जिससे किसान धीरे-धीरे इस फसल से मुंह मोड़ने लगे। 1990 से 2006 के बीच पूर्णिया का पश्चिमी इलाका 'केलांचल कहलाता था, जब 22 हजार हेक्टेयर में केला उगाया जाता था। 1984 से शुरू हुई खेती 1990 में तेजी से बढ़ी, पर प्रोत्साहन की कमी से अब यह मात्र 8000 एकड़ तक सिमट गई है। तीन दशक पूर्व आर्थिक रूप से पिछड़े पूर्णिया को केले की खेती ने नई पहचान दी। इसने न केवल किसानों को आर्थिक संबल प्रदान किया, बल्कि उनकी जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव लाया। एक समय था जब साधारण किसान साइकिल की मरम्मत ...