भागलपुर, मई 26 -- बिरौली बाजार में दुकानदारों और व्यापारियों की समस्या प्रस्तुति : आलोक कुमार सिंह - 500 से अधिक हैं बिरौली बाजार में स्थाई व्यावसायिक प्रतिष्ठान - 50 लाख से अधिक का कारोबार रोजाना होता है मक्का के सीजन में - 1900 ईस्वी से ही बिरौली में पड़ गई थी व्यवसाय की नींव आजादी के पूर्व लगभग 1919 ईस्वी से ही कई जिले का व्यावसायिक केंद्र बिंदु रहा बिरौली बाजार की पुरानी संस्कृति अब चेंज हो गई। शुरुआती दौर में गुदरी हाट से प्रसिद्ध बिरौली बाजार सकरकंद , मिश्रीकंद एवं आलू का मुख्य बाजार था। प्रचुर मात्रा में कंद, मूल और आलू किसानों के द्वारा उपजा कर यहां बिक्री को लाई जाती थी।यहां से कई जिले के व्यवसाई घोड़ा पर लाद कर सामान ले जाया करते थे। वर्तमान में सकरकंद और मिश्रीकंद की खेती किसानों द्वारा नहीं करने से धीरे-धीरे यह परंपरा विलुप्त ...