पलामू, फरवरी 23 -- दैनिक उपभोग की समस्त वस्तुओं का भार उठाते-उठाते पल्लेदारों की कमर समय के साथ कमान की तरह टेढ़ी हो जाती है। किंतु सुविधा के नाम पर कार्यस्थल पर सिर छिपाने की छाया तो दूर पेयजल के लिए टोटी भी मयस्सर नहीं है। जैसे-जैसे मेदिनीनगर की थोक बाजार मंडी का आकार बढ़ता गया वैसे ही पल्लेदारों की संख्या भी बढ़कर 150 से 200 तक पहुंच चुकी है। हिन्दुस्तान के बोले पलामू अभियान के दौरान शासकीय व सामाजिक उपेक्षा से मायूस पल्लेदारों ने खुलकर अपनी पीड़ा साझा की। मेदिनीनगर। आम उपभोग से जुड़ी राशन-पानी, दवा, इलेक्ट्रानिक, फर्नीचर, भवन निर्माण सामग्री आदि कोई भी सामान हो, महानगरों से वे थोक रूप से जिले की मंडी में ही आते हैं। उन सामनों को क्षेत्रीय मंडी में लेकर आने वाले वाहनों को अनलोड मंडी में मौजूद पल्लेदार ही करते हैं। किंतु दुर्भाग्यपूर्ण है कि...
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