पटना, फरवरी 17 -- मेहंदी का उपयोग मुख्य रूप से पर्व-त्योहार और शादी- व्याह के खास मौके पर शुभ प्रतीक के रूप में किया जाता रहा है। बाद में यह फैशन से भी जुड़ता चला गया। मेहंदी में तरह-तरह के डिजायन प्रयोग में आए तो इसे लगाने वाले कलाकारों का वर्ग सामने आया। पटना के कई इलाकों में मेहंदी लगाने वाले कलाकर हैं। उनके सामने स्थायी रोजगार की कमी तो है ही, मेहनताना भी कम मिलता है। इसके अलावा कोई स्थायी जगह नहीं होने से उन्हें बैठने की भी दिक्कत है। भारतीय परंपरा में मेहंदी शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन और आयुर्वेदिक के रूप में भी होता है। मेहंदी लगाने की पारम्परिक कला सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती आयी है। महिलाएं शादी-व्याह के अलावा तीज-त्योहार पर भी इसका उपयोग करती हैं। सावन माह में तो मेहंदी का खास महत्व हो...