पटना, अगस्त 25 -- बिहार में खेल-कूद को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार चहुंओर प्रयास कर रही है। कई स्टेडियम का निर्माण कराया गया है और बिहार में अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल स्पर्धाओं का आयोजन भी हो रहा है। लेकिन, इस प्रक्रिया में एक पारंपरिक खेल 'आत्या पात्या अलग-थलग है। महाराष्ट्र का यह पारंपरिक खेल अब बिहार में भी लोकप्रिय तो हो रहा है, लेकिन सुविधाएं नहीं मिलने से इसका विकास नहीं हो रहा है। आत्या-पात्या के खिलाड़ी कहते हैं कि पटना में अभ्यास के लिए मैदान नहीं मिलने से काफी परेशानी होती है। सरकारी स्तर पर भी किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं मिल पाता है। उनका कहना है कि यदि उन्हें भी अवसर और सुविधाएं मिले तो वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रति प्रदर्शित कर बिहार का नाम रोशन करेंगे। आंखों में सुनहरे भविष्य का सपना लिये 'आत्या पात्या के खिलाड़ी द...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.