देवरिया, मार्च 11 -- देवरिया। सिलाई कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। रेडीमेड कपड़ों के बढ़ते चलन से उनका व्यवसाय सिमटता जा रहा है। काम कम मिलने के चलते दुकान का भाड़ा और बिजली बिल भरने में भी मुश्किलें आने लगी हैं। महंगाई बढ़ने के बाद भी वह सिलाई का रेट नहीं बढ़ा पा रहे हैं। परिवार चलाने भर की आमदनी भी नहीं होने के कारण नई पीढ़ी इस पेशे में आने से परहेज कर रही है। सिलाई कारीगर मुन्ना अंसारी कहते हैं कि कुछ साल पहले तक रेडीमेड कपड़ों का चलन इतना नहीं था। ज्यादातर लोग सिलवाकर ही कपड़े पहनते थे। अब हालात बदल गए हैं। रेडीमेड कपड़ों में अधिक वेरायटी और दाम भी अपेक्षाकृत कम होने से लोग अब इसकी तरफ तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। युवा वर्ग तो पूरी तरह रेडीमेड कपड़ों पर ही निर्भर हो गया है। जिन दुकानों पर कपड़े सिलवाने के लिए लाइन लगी रहती थी ...