जौनपुर, फरवरी 14 -- सुबह के सात बजते ही शहर के शाही पुल, घग्घा चौराहा, पालिटेक्निक चौराहा, सिपाह और शकरमंडी तिराहे पर सैकड़ों की तादाद में मजदूर जमा हो जाते हैं। कोई राजमिस्त्री है, कोई फर्नीचर का कारीगर। कोई पेंटिंग करता है तो कोई साधारण दिहाड़ी मजदूर। सबकी आंखों में एक उम्मीद कि आज कुछ काम मिल जाए। जबकि उनमें से आधे से अधिक को रोज मायूस होकर लौटना पड़ता है। गांव में मनरेगा के काम की आस होती जरूर है लेकिन मजदूरी समय से न मिलने से वहां मन नहीं लगता। शहर के लेबर चौराहों पर काम की तलाश में आए मजदूरों ने 'हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में जहां अपनी परेशानियां गिनाई। वहीं यह पता चलने पर कि उनकी तस्वीर अखबार में छपेगी, कुछ मजदूर दूर हट गए। पता चला कि उनके घर-परिवार और रिश्तेदारों को पता नहीं है कि वे काम की तलाश में लेबर चौराहे पर आते हैं। घर के लो...