जौनपुर, मार्च 9 -- जिले में आठ लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था सरकारी सस्ते गल्ले के कोटेदार करते हैं। सरकार योजनाओं को मूर्तरूप देने में उनकी अहम भूमिका होती है। बात जब उनके भले की आती है, उन्हें 'आश्वासन की गठरी थमा देती है। कम कमीशन और सिंगल डोर-स्टेप डिलीवरी में पारदर्शिता की कमी भी उनकी परेशानी का सबब है। उधर, छटांकभर अनाज कम होने उपभोक्ता उनके ऊपर चढ़ बैठते हैं। राशनकार्डों के डिजिटल प्रमाणन का फरमान है लेकिन गल्ला कोटेदारों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं होती है। इलेक्ट्रॉनिक कांटे भी धोखा देते हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें समस्याओं से छुटकारा मिले। करीब 55 लाख की आबादी वाले जिले में 21 ब्लॉक और एक नगरीय क्षेत्र हैं। यहां दो हजार से अधिक सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें हैं। इनके जरिये करीब आठ लाख परिवारों निवाले का इंतजाम होता है। इतना बड...
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