भागलपुर, मई 19 -- ब्रिटिश काल से ले स्वाधीन भारत तक झाझा रेलवे स्टेशन ने महत्वपूर्ण स्थान रखा है। बुजुर्ग मुसाफिरों के अनुसार ब्रिटिश काल में यह रेलनगरी के रूप में अपनी पहचान रखता था। पूर्व रेलवे जोन के बंटवारे के बाद भी इसकी अहमियत कम नहीं हुई। वर्त्तमान में यह (झाझा) पूर्व रेलवे एवं पूर्व मध्य रेलवे जोनों का 'संगम बिंदु होने है। बफर स्टेशन के बतौर अपनी हैसियत रखता है। इन सबके बावजूद झाझा कहीं न कहीं रेलवे की उपेक्षा व उदासीनता का शिकार है। झाझा के आम जनमानस, सामाजिक व व्यावसायिक संगठनों तक का कहना-मानना है कि झाझा स्टेशन का अपेक्षित विकास नहीं हुआ। यहां अभी भी कई समस्याएं हैं। संवाद के दौरान जिले के रेल यात्रियों ने अपनी बात रखी। 70 फीसदी भू-भाग जिले का आज भी है रेल सुविधा से वंचित 01 सौ 60 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से रेल चलाने की कवायद...