भागलपुर, अगस्त 15 -- प्रस्तुति: सेंटु कुमार जमुई जिले के हजारों बच्चों की आंखों में बेहतर भविष्य के सपने तो हैं, लेकिन उन्हें साकार करने का सबसे जरूरी औजार व्यावसायिक शिक्षा अब भी दूर है। हर सुबह उम्मीद के साथ स्कूल की ओर बढ़ते कदमों में अब बेचैनी है। किताबें हैं, पर हुनर नहीं। पाठ्यक्रम है, पर जीवन जीने की तैयारी नहीं। नई शिक्षा नीति बदलाव का वादा तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। छात्राओं की आंखों में पढ़ाई के बाद की चिंता साफ झलकने लगी है। अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा के अभाव ने पढ़ाई को महज औपचारिकता बना दिया है। बदलाव की जरूरत हर किसी को दिख रही है, पर समाधान अब भी अधूरा है। जिले के लगभग 176 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में से मात्र दो विद्यालयों में सीमित विषयो...
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