भागलपुर, मई 9 -- आजादी के इतने वर्षों में लोगों की जीवनशैली के साथ रहन-सहन व काम करने के तौर-तरीके में काफी बदलाव आया है। हाथ का काम अब मशीनों से होने लगा है। पुरानी मशीनों की जागह नए-नए आधुनिक मशीन आ गए। लेकिन जिले का मोची समाज अपने पुश्तैनी काम को पारंपरिक तरीके से ही करता आ रहा है। औजारों में बदलाव नहीं है। आज भी सड़कों के किनारे ही इनकी जिंदगी कटती है। सिर छुपाने के लिए एक शेड तक नहीं होता। सरकारी योजनाएं पहुंच से दूर हैं। जिले में जूते-चप्पल की फैक्ट्री भी नहीं है, जहां ये काम कर सकें। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान जिले के मोची समाज के लोगों ने अपनी परेशानी बताई। 04 से छह हजार तक प्रतिमाह होती है कमाई 02 हजार से 2500 लोग जुड़े हैं इस व्यवसाय से 05 सौ परिवारों की चलती है धंधे से रोजी-रोटी आजादी के इतने वर्षों बाद भी मोची समाज की जीव...
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