भागलपुर, मार्च 1 -- वैसे तो आलू की खेती जिले के कई प्रखंडों में होती है लेकिन कुछ जगहों पर इसकी खेती ज्यादा होती है। है। आलू की बुवाई के दौरान खेतों में यूरिया, डीएपी, जिंक और पोटाश की प्रचुर मात्रा में आवश्यकता होती है, लेकिन सरकारी दुकानों पर इनकी उपलब्धता नहीं होती। ऐसे में किसानों को प्राइवेट दुकानों से महंगी दरों पर इन खादों को खरीदना पड़ता है। 30 फीसदी किसान करते आलू की खेती 20 से 25 हजार हेक्टेयर में होती है आलू की खेती 12 से 15 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है आलू प्रस्तुति:मनोज तिवारी/ राकेश सिन्हा आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है, लेकिन जब इसे उगाने वाले किसान ही परेशान हों तो आलू और उसकी खेती दोनों की स्थिति संकट में होती है। जमुई के आलू उत्पादक किसान महंगाई और समय पर खाद बीज नहीं मिलने से चिंतित हैं। अपनी समस्याओं को लेकर...
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