गोंडा, जून 24 -- जिले में 10 हजार से ज्यादा लोग मिट्टी के बर्तन, खिलौने और कुल्हड़ बनाने के व्यवसाय से जुड़े हैं। करीब पांच साल पहले सरकार ने उप्र माटी कला बोर्ड की स्थापना की थी। इसके बाद कुम्हारों को कई प्रकार की सुविधाएं मिलने लगी। इनमें प्रमुख रूप से नि:शुल्क इलेक्ट्रिक चाक और कई मशीनें शामिल हैं। साथ ही दस लाख रुपये तक का कर्ज मुहैया कराने का प्रावधान है। पर्यावरण संरक्षण के साथ माटी कला को बढ़ावा देने के लिए कारीगरों को पुरस्कृत किए जाने की भी व्यवस्था है। इन सहूलियतों के बाद भी प्रजापति/कुम्हार समाज के लोगों को दुश्वारियां उठानी पड़ रही हैं। समाज के लोगों ने बताया कि बदलते दौर में बर्तन बनाने के लिए मिट्टी मिलना कठिन हो गया है। जहां मिट्टी उपलब्ध है वहां काफी महंगे दर पर मिलती है। तैयार किए गए बर्तनों का वाजिब दाम नहीं मिलता है। बो...