गाजीपुर, फरवरी 25 -- खुद आत्मनिर्भर बन दूसरी महिलाओं को स्वावलंबन की राह दिखाती हैं। छोटे-छोटे कामों से परिवारों में छायी उदासी दूर करती हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में उनकी भी चर्चाएं होती हैं। समूहों में उद्यम करने वाली ये महिलाएं कई दुश्वारियों से घिरी हैं। कामचलाऊ मानदेय और कमीशन तक उनकी आय सीमित है। समूह के काम से यात्रा का खर्च खुद वहन करती हैं। ग्रामीण क्षेत्र में समूह केन्द्र और उनमें शौचालयों का अभाव अक्सर मुश्किलों में डाल देता है। बैंकों की उलझाऊ ऋण प्रक्रिया में वे सुगमता चाहती हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला समूह योजना की शुरुआत हुई थी। इससे महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन आया है लेकिन अभी इसमें कुछ खामियां हैं। आदर्श गांव स्थित सीएलएफ सुधा शर्मा की दुकान पर जुटी समूह की महिलाओं न...
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