गया, फरवरी 15 -- कपास को चीर कर रूई निकालने और उसकी धुनाई करने वालों को धुनिया कहा जाता है। रूई की धुनाई कर रजाई, तोशक और तकिया बनाना इनका व्यवसाय है। इसी व्यवसाय से इनके परिवार का भरण-पोषण होता था। अब बाजार में रेडीमेड कंबल, गद्दा, तकिया आ जाने से धुनिया का व्यवसाय मंदा पड़ गया। इनकी रोजी-रोटी पर भी आफत आ गई है। इनका व्यवसाय ठंड और शादी-विवाह में अधिक होता था। दो जून की रोटी के लिए अब दूसरे राज्यों में पलायन कर मजदूरी करने को विवश हैं। आमदनी अच्छी नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभारित हो रही है। निया समुदाय का विकास और इसके रोजगार के लिए सरकार ने अब तक कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं की है। धुनिया समुदाय द्वारा किया गया कार्य हर वर्ग और समाज की जरूरत की श्रेणी में आता है। आधुनिकता के बदलते दौर में अन्य पारंपरिक व्यवसाय की तरह इसमें भी नुकसान ...
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