कुशीनगर, फरवरी 24 -- Kushinagar News: आशा कार्यकर्त्रियां ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं, लेकिन खुद कई समस्याओं से जूझ रही हैं। नाममात्र की प्रोत्साहन राशि, वह भी समय से नहीं मिलती। उस पर बढ़ता कार्यभार, सुरक्षा की कमी और सरकारी कर्मचारी का दर्जा न मिलने से वे निराश हैं। कोरोना काल के दौरान उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं दीं, लेकिन उनके अधिकारों और सुविधाओं को लेकर अब भी उदासीनता बनी हुई है। अस्थिर भविष्य और कम संसाधनों के बावजूद आशा कार्यकर्ता मातृ-शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण और जनजागरूकता अभियानों में जुटी रहती हैं। 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में उन्होंने अपनी समस्याएं रखीं। कुशीनगर जिले में 14 ब्लॉकों में 3649 आशा कार्यकर्त्रियां कार्यरत हैं। स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की नींव मानी जाने वाली आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्...