आगरा, फरवरी 15 -- गांव-गांव स्वच्छता के प्रहरी हैं। ग्रामीणों को खुले में शौंच जाने की बजाय सामुदायिक शौचालयों में जाने के लिए प्रेरित करते हैं। समय से शौचालय खोलने और बंद करने के अलावा रखरखाव बेहतर हो, इसके लिए केयर टेकर के रूप में जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की ओर से सौंप दी गई। नाम सुनने पर तो अच्छा लगता है केयर टेकर, लेकिन ग्राम पंचायतों के प्रधानों व ग्राम पंचायतों के हाथ में इनके काम की कमान होने से मनमानी का भी शिकार होते हैं, अब तो और भी हदें पार हो रही हैं, किसी को मानदेय नहीं मिला है तो किसी के पास शौचालयों की चाबी तक नहीं है, वह भी पंचायत के कर्ताधर्ताओं के पास रहती है। सन की ओर से स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के चलते गांवों में बनाए गए सामुदायिक शौचालयों में व्यवस्था यह की गई कि, लोग खुले में शौंच नहीं जाएं सामुदायिक शौचलयों का उपयोग ...