वाराणसी, मई 3 -- वाराणसी। कबूतर भी गंगा-जमुनी तहजीब की धारा को रोजाना नए आयाम देते हैं। सौहार्द के किस्से गढ़ते हैं। कबूतर शांति के प्रतीक माने जाते हैं। उनकी उड़ान में वह 'पोस भी शामिल रहता है जो इन्हें पालक के पास लौटा लाता है। 'शांति की उड़ान का दायरा जिले के हर कोने को ऊर्जावान बनाता है। यूं तो कबूतर पालने, उड़ाने की गाथा सदियों पुरानी है, लेकिन बदलते दौर में इसे सहजने और संरक्षित करने की जरूरत है। कबूतर पालक चाहते हैं कि उनके अनौपचारिक संगठन को स्थानीय स्तर पर औपचारिक संगठन का रूप मिले। कबूतरों का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल से ही वे संदेशवाहक की भूमिका निभाते आए हैं। खास बात यह है कि थोड़े प्रशिक्षण के बाद कबूतर जहां से उड़ान भरते हैं, वहां लौट भी आते हैं। इन खूबियों की बदौलत लोगों में कबूतरों के प्रति स्नेह का भाव रहता है। व...
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