वाराणसी, मई 31 -- वाराणसी। वर्षों से स्थायी मंडी के लिए जमीन की मांग हो रही है। हम दूसरी मंडियों के दुकानदारों की तरह सरकारी शुल्क देने को तैयार हैं। मगर स्थायी ठौर दिलाने में न जनप्रतिनिधियों ने रुचि ली, न ही अधिकारियों ने सहानुभूति दिखाई है। दर्जनों बार उन्हें पीड़ा सुना चुके हैं। हम निजी जमीन पर दुकानें लगाने को विवश हैं। यहां पेयजल-सफाई, बिजली और गंदा पानी जैसी समस्याएं मुंह बाए रहती हैं। अब इस माहौल की आदत बन गई है-यह दर्द है लमही सब्जी मंडी के आढ़तियों और दुकानदारों का। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जन्मस्थली लमही में सब्जी मंडी 18 वर्ष पहले लगनी शुरू हुई। उसके पहले यह पड़ोस के मझीठिया गांव में लगती थी। किसान फुटकर सब्जी मंडी समिति आढ़तियों और फुटकर विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करती है। समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों ने 'हिन्दुस्त...