वाराणसी, अगस्त 18 -- वाराणसी। प्रौढ़ शिक्षा ने उन महिलाओं की दशा और दिशा में बदलाव किया है, जो कभी दूसरों के घरों में काम करते हुए अपनी पहचान बनाने और आत्मनिर्भर बनने की कोशिश में जुटी थीं। उम्र की बाधा से परे ये महिलाएं न सिर्फ हस्ताक्षर करने लगी हैं, बल्कि अनेक उत्पादों के जरिए दो वक्त की रोटी भी जुटा रही हैं। उनके बच्चों-परिवारों की माली हालत सुधर रही है। हालांकि अभी इनकी पहचान को गति मिलना बाकी है। उन्हें उत्पादों की बिक्री के लिए उपयुक्त मंच की जरूरत है। दूसरों के घरों में काम करने वाली महिलाओं को समाज में अक्सर कमतर आंका जाता रहा है, लेकिन अब परिस्थितियां बदलाव की राह पर हैं। ऐसी महिलाएं अक्षर ज्ञान के साथ ही सिलाई, कढ़ाई जैसे कौशल सीख रही हैं, उत्पाद बना रही हैं। इससे उनके जीवन में क्रांति आ रही है। भुल्लनपुर की रुद्रनगर कॉलोनी में...
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