वाराणसी, अप्रैल 6 -- वाराणसी। बनारसी वस्त्रोद्योग संघ से जुड़े निर्यातक औैर व्यापारी भी 26 प्रतिशत अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के नफा-नुकसान पर मंथन कर रहे हैं। कॉलीन उद्योग की तरह उन्हें भी फौरी झटका लगा है। बनारसी साड़ियों और सिल्क फैब्रिक का निर्यात रुक गया है। मैन्यूफैक्चरर असमंजस में हैं। निर्यातकों के अनुसार ट्रंप टैरिफ का पूरा असर आने में वक्त लगेगा। इस बीच भारत सरकार 'आपदा को अवसर में बदलने की नीति बनाए। ट्रंप ने अमेरिकी हितों को ध्यान में रखा है तो भारत को भी अब 'नेशन (इंडिया) फर्स्ट पर जोर देना चाहिए। बनारसी साड़ियों और वस्त्रों की देश-दुनिया में पहचान शताब्दियों पुरानी है। बिनकारी, डिजाइन के लहजे से और बाहर के देशों में डिमांड की दृष्टि से भी। भारतीय कालीन के सबसे अधिक उपभोक्ता यदि अमेरिकी हैं तो बनारस के अलावा आजमगढ़ और मऊ में 'ब...