कानपुर, फरवरी 20 -- हम सिर्फ व्यापार ही नहीं करते बल्कि औरों के घर-दुकान और आफिस की शोभा में चार-चांद भी लगाते हैं। आजादी के पहले हमारे पुरखे और अब हम बखूबी इसे अंजाम दे रहे हैं, लेकिन आगे हमारी पीढ़ियां टिम्बर कारोबार से जुड़ेंगी, इसको लेकर मन में कई सवाल हैं। व्यापारी कहते हैं कि जब-जब जो नियम और शर्तें बनीं, उनका पालन करने में हम पीछे नहीं रहे। इतना करने के बाद भी सरकारी विभागों के निशाने पर हमारा ही सेक्टर है। आए दिन कोई न कोई हमें अहसास दिलाता है कि हमारा दर्जा दोयम है। ऐसा लगता है जैसे कारोबारी नहीं हम कोई चोर हैं। दूसरों की दुनिया को सजाने के बाद भी हमें हाशिए पर क्यों धकेल दिया, यह सवाल अशांत करता है। कानपुर के विकास में लकड़ी और उसे जुड़े सामान के कारोबार का योगदान किसी से कम नहीं रहा। अंग्रेजों के जमाने में बांसमंडी से शुरू हुआ टिम्...