भागलपुर, अप्रैल 24 -- कटिहार की उपजाऊ धरती पर जहां कभी सिर्फ परंपरागत खेती होती थी, अब मधुमक्खियों की गुनगुनाहट एक नए बदलाव की कहानी कहती है। गांव की गलियों से निकलकर युवा अब सिर्फ हल ही नहीं, बी-बॉक्स भी संभाल रहे हैं। डंडखोरा पंचायत में महेशपुर के सूरज कुमार ठाकुर जैसे लोग मधुमक्खी पालन को न सिर्फ अपना व्यवसाय बना चुके हैं, बल्कि अपने जैसे कई अन्य परिवारों को भी इस स्वरोजगार से जोड़ चुके हैं। शहद की मिठास अब सिर्फ स्वाद नहीं, एक उम्मीद बन गई है-एक ऐसी राह, जो बेरोजगारी से लड़ने की ताकत देती है। चुनौतियां हैं, पर हौसले भी बुलंद हैं। अगर सरकार और व्यवस्था साथ दे, तो कटिहार की यह गुनगुनाहट पूरे बिहार में एक मिसाल बन सकती है। 20 परिवारों की मधुमक्खी पालन से बदली तकदीर 05 सौ से अधिक बी बाक्स में पालन करता है सूरज 04 प्रखंडों में व्यापक पैमान...