औरंगाबाद, फरवरी 28 -- चाय अब एक शब्द भर नहीं रह गया है। सुबह होते ही चाय की याद आती है। अब शहरों को छोड़िए गांव के चौक-चौराहों पर भी चाय की दुकानें मिल जाएंगी। कहीं कुछ मिले या ना मिले आपको गर्म चाय अवश्य मिलेगी। शहर के चौक-चौराहों से लेकर गांव के गली-मोहल्ले तक सड़क किनारे चाय दुकानदार को चाय बेचते हुए देखा जा सकता है। जाड़े की ठंडी हो या गर्मी का मौसम यहां तक की भारी बारिश के बीच भी सुबह सवेरे उनकी दुकान खुल जाती है। दिन भर इतनी कड़ी मेहनत के बावजूद बड़ी मुश्किल से अपने परिवार वालों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाते हैं। आज चाय दुकानदार आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हैं। उनके सामने सबसे बड़ी समस्या स्थायी रोजगार को लेकर है। चाय दुकानदार स्थाई दुकान की मांग कर रहे हैं। चाय दुकानदारों को चाय पीना और पिलाना दोनों रोजमर्रा का हिस्सा है। दिन की ...
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