औरंगाबाद, अप्रैल 25 -- महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम ( मनरेगा) की शुरुआत 2006 में भारत सरकार ने एक विशेष कानून को अधिसूचित करते हुए की थी। ग्रामीण इलाकों में अकुशल मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के बहुत बड़े प्रयास के रूप में इसे परिभाषित किया गया था। मेहनतकश को न्यूनतम सौ दिनों के कार्य दिवस का वादा था। गांव के विकास की रफ्तार देने में सबसे अहम भूमिका मनरेगा ने निभाई है। मनरेगा श्रमिक ग्रामीण विकास को अपने पसीने से सींचते हैं। सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करते हैं। पीसीसी सड़क से लेकर मिट्टी खुदाई तक, तमाम विकास के काम मनरेगा श्रमिकों के कंधे पर हैं लेकिन जिले के मनरेगा श्रमिकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। श्रमिकों का कहना है कि पांच महीने से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। रोजाना बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। ऐसे में ...