एटा, अगस्त 27 -- सरकार की ओर से लगने वाले 'वोकल फॉर लोकल के नारे को जिले के लोग साकार कर रहे हैं। कोई कपड़े बना रहा है तो कोई टॉयलेट क्लीनर। कोई पापड़, चाऊमीन तो कई अन्य खाद्य पदार्थ बना रहा है। इसी तरह के कई कारोबार पूरे जिल में हो रहे हैं। यह सभी लोग अपने-अपने उत्पादों तो बनाकर तैयार कर लेते हैं, लेकिन इन्हें बेचने के लिए इन लोगों को कोई सटीक प्लेटफार्म नहीं मिल पा रहा है। आपके अखबार हिन्दुस्तान के एटा बोले के तहत लोकल उत्पाद तैयार करने वालों से उनकी समस्याओं को लेकर संवाद किया तो कई बातें सामने आईं। हरी क्षेत्र में संचालित हो रहे समूहों में चार हजार से अधिक महिलाएं काम कर रही है। समूह के माध्यम से कारोबार करने के लिए महिलाओं ने पैसा भी एकत्रित कर लिया है। दिन रात काम कर रही हैं। बैंकों से लोन भी मिल जाता है। भले ही इसके लिए चक्कर लगाने प...
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