एटा, सितम्बर 24 -- विद्या भारती की ओर से आयोजित क्षेत्रीय खेलकूद समारोह में बेटियों की प्रतिभा देखते ही बन रही है। खेल के मैदान में वह अपना प्रदर्शन करने से नहीं चूक रहीं। पश्चिमी उत्तर एवं उत्तराखंड की बालिकाओं ने दौड़, कूद, लंबी कूद के अलावा अनेक तरह के खेलों में प्रतिभाग किया है। इन बेटियों ने नेशनल प्रतियोगिताओं में खेलकर गोल्ड मेडल तक जीता है। बोले एटा के तहत इन बेटियों से बात की तो इन्होंने खुलकर अपनी बात बताई। भारत में महिला खिलाड़ियों ने पिछले दो दशकों में ऐसा इतिहास रचा है। जिससे न केवल देश का मान बढ़ा है, बल्कि महिलाओं के प्रति समाज की सोच को भी बदलने का काम किया है। 15 वर्ष की उम्र के बाद महिला खिलाड़ी शारीरिक और मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत होती हैं। इसी आयु से उनका असली संघर्ष शुरू होता है और यही समय उनके खेल करियर की नींव को मजबू...