एटा, मई 15 -- सैकडों बीघा जमीन पर लाल सोना कहे जाने वाले टमाटर की खेती हर वर्ष किसानों को नुकसान दे रही है। पौध लगाते समय उम्मीद होती है कि इस बार यह फसल बारे न्यारे कर देगी, लेकिन फसल तैयार होने से पहले आसमान पर रहने वाले भाव ऐसे हो जाते हैं कि लेबर का खर्चा भी नहीं मिल पाता। किसानों को पट्टे के दाम भी नहीं मिल पाते। हिन्दुस्तान के बोले एटा के तहत किसानों से जब इस मुद्दे पर बात की तो वह बोले सरकार की ओर से टमाटर की फसल खरीदने के लिए कोई सेंटर बनाना चाहिए। इससे किसानों को फसल का सही दाम मिल सके। मंडी में सही दाम ना मिलने के बाद खड़ी फसल को जुतवाना पड़ता है। मारहरा क्षेत्र के 100 से अधिक गांव ऐसे हैं, जिनमें टमाटर की फसल होती है। किसान इस फसल के सहारे ही अपना काम शुरू करते है। टमाटर की सीजन के समय लगता है कि यह फसल अच्छे भाव देकर जाएगा। पिछल...
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