उरई, फरवरी 16 -- उरई। देश का भविष्य संवारने वाले शिक्षकों की सबसे बड़ी परेशानी यही है कि उनसे शैक्षणिक काम कम और दूसरे काम ज्यादा लिए जाते हैं। इससे उन्हें परेशानी तो होती ही है साथ ही छात्रों का भी नुकसान होता है। इसके अलाव तमाम ऐसी परेशानियां हैं जिससे यह वर्ग खासा परेशान रहता है। कहीं स्कूल में बच्चे कम आ रहे हैं तो कहीं बच्चों का रिजल्ट अच्छा नहीं रहा, तो कहीं पीने का पानी और शौचालय नहीं है। इन समस्याओं का जिम्मेदार भी शिक्षक को मान लिया जाता है। शिक्षकों का मानना है कि विभाग भी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है। जिसकी वजह से इन्हें एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस बेवजह दौड़ना पड़ता है। शिक्षकों की ड्यूटी स्कूल में कम और स्कूल से बाहर ज्यादा रहती है। गैर शैक्षणिक कार्य बीएलओ, बोर्ड परीक्षा, डिग्री कॉलेज परीक्षा, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में स...