उन्नाव, फरवरी 17 -- विकलांगों को नई पहचान देकर उन्हें दिव्यांग का सम्मानजनक नाम दिया गया लेकिन सिस्टम अब भी उन्हें उसी पुरानी नजर से ही देख रहा है। हालात ऐसे हैं कि दिव्यांग अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं और सिस्टम उन्हें सुविधाओं से 'विकलांग बनाए हुए है यानी उन्हें मिलने वाली पेंशन, राशन कार्ड और आयुष्मान कार्ड तक के लिए परेशान कर रहा है। दिव्यांग शिक्षकों ने आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से अपनी समस्याएं साझा कीं। उन्होंने बताया कि पेंशन, आवास समेत तमाम चीजों के लिए साहबों की चौखट नापनी पड़ती है। यह हालत तब है, जबकि वे शिक्षित हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं। आखिर कब तक उन्हेें अपने अधिकारों के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी। दिव्यांग सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए जूझ रहे हैं। तमाम अभी ऐसे हैं, जिन्हें अब तक किसी भी योज...
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