आगरा, फरवरी 13 -- दूध बेचने वाले जिन्हें आमतौर पर 'दूधिया'कहा जाता है, ग्रामीण और शहरी भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे हर सुबह लोगों के घरों तक ताजा दूध पहुंचाते हैं, लेकिन उनके जीवन में कई चुनौतियां हैं। सुविधाओं की कमी, सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलना, वित्तीय असुरक्षा और उचित संसाधनों की अनुपलब्धता जैसी समस्याएं उनके समक्ष खड़ी हैं। आगरा। दूध बेचने वालों को व्यवसाय बढ़ाने के लिए लोन की आवश्यकता होती है, लेकिन जटिल कागजी कार्यवाही और गारंटी की मांग के कारण उन्हें बैंक से ऋण नहीं मिल पाता। सरकार को चाहिए कि विशेष रूप से दूध व्यापारियों के लिए एक सरल लोन योजना लागू करे, जिससे उन्हें बिना अधिक कागजात के कम ब्याज दर पर ऋण मिल सके। साथ ही स्वयं सहायता समूह और सहकारी समितियों के माध्यम से उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी...