अयोध्या, जून 24 -- अयोध्या। कुम्हार समाज का पेशा एक ऐसा पेशा था जिसकी पहुंच घर-घर थी। कोई ऐसा घर परिवार नहीं था जहां मिट्टी के बर्तनों को उपयोग नहीं किया जाता था। खाना पकाना हो या खाना खाना हो,पानी पीना हो या खाद्यान्न रखना हो हर जगह मिट्टी के ही पात्रों का प्रयोग किया जाता था। हो कुछ भी आज भी शादी विवाह में इनके द्वारा मिट्टी के बनाए हाथी-घोड़ा-पालकी का काफी महत्व है। दीपावली में इनका महत्व काफी बढ़ जाता है क्योंकि उनके हाथों से बनाए गए मिट्टी के दीपक की काफी मांग होती है। 'हिन्दुस्तानअखबार ने जब इनके व्यवसाय और रहन-सहन की पड़ताल की तो इस समाज के लोगों का दर्द छलक उठा। कुम्हार समाज के 85 वर्षीय बुजुर्ग जयराम प्रजापति ने 'हिन्दुस्तानको बताया कि गरीबी और मुफलिसी में जीना अब हमारी नियति बन गई है। एक सुनहरा दौर वह भी था जब हमीं लोगों के बनाए...