नई दिल्ली, जुलाई 14 -- सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई के दौरान आज (सोमवार, 14 जुलाई को) कहा कि देश के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अहमियत समझनी चाहिए और आत्म-नियमन एवं संयम का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया पर आज के समय में चल रहे विभाजनकारी प्रवृत्तयों पर अंकुश लगाना होगा। कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी की वकालत करते हुए कहा कि पीठ किसी भी सूरत में सेंसरशिप की बात नहीं होनी चाहिए बल्कि लोग आत्मसंयम और नियमन का पालन करें। उच्चतम न्यायालय ने भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित दिशा-निर्देशों पर विचार करते हुए कहा कि नागरिकों के बीच भाईचारा होना चाहिए। अदालत ने कहा कि कोई नहीं चाहता है कि राज्य/सरकार ऐसे मामलों में दखल दे, लेकिन भाषण की स्वतंत्रता पर तार्किक पाबंदियां उचित हैं।

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