हल्द्वानी, अगस्त 23 -- मोहन भट्ट हल्द्वानी। हर किसी का कोई न कोई वतन होता है। लेकिन आज के दौर में भी एक शख्स ऐसा था, जो बिना किसी वतन की पहचान मिले, इस दुनिया से विदा हो गया। कुमाऊं में लोगों की जुबान पर चाइनीज फूड का जायका चढ़ाने वाले मिस्टर ली यानी ली पिंग येन के साथ ऐसा हुआ है। 82 वर्षीय मिस्टर ली भारत में जन्म लेने के बावजूद भारतीय नागरिक नहीं बन पाए। उनकी जिंदगी बे-वतनी और संघर्ष की मार्मिक दास्तान है। शुक्रवार को रानीबाग के इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में उन्हें अंतिम विदाई दी गई। ली का जन्म 1943 में कोलकाता में हुआ था। उनके माता-पिता चीन से भारत आए थे और जूतों के कारोबार से जुड़े थे। 14 साल की उम्र में पिता और एक साल बाद मां का देहांत हो गया। चार भाइयों और छह बहनों में से दो बहनें चीन की नागरिक थीं। ली ने भी जूते बनाए, लेकिन मशीनों के आने...