नई दिल्ली, अक्टूबर 22 -- अंजलि भारद्वाज, वरिष्ठ सदस्य, एनसीपीआरआई सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून स्वतंत्र भारत में लागू किए गए सबसे परिवर्तनकारी व सशक्त कानूनों में से एक रहा है। यह कानून 2005 में व्यापक जनांदोलनों के बलबूते अस्तित्व में आया और लोकतांत्रिक ढांचे के दायरे में सत्ता का नए सिरे से पुनर्गठन करने लगा। एक अनुमान के अनुसार, हर साल आरटीआई कानून के तहत लगभग 60 लाख आवेदन दायर किए जाते हैं, जिससे यह दुनिया में सबसे व्यापक इस्तेमाल वाला पारदर्शी जन-कानून बन गया है। इन्हीं सब कारणों से आरटीआई कानून 2011 में वैश्विक पारदर्शिता रैंकिंग में शीर्ष पर चला गया था। भारत के इस जन-हितकारी कानून ने नागरिकों को सक्षम बनाया है कि वे सरकारों को जवाबदेह ठहरा सकें। शायद यही कारण है कि इस अधिकार का इस्तेमाल करने वालों को लगातार कटु प्रतिक्रिया का साम...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.