नई दिल्ली, अप्रैल 27 -- बिहार में ऊंट विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं। इसके अलावा गदहे और घोड़े भी कम हो गये हैं। पिछले एक दशक में ऊंटों की संख्या 99 फीसदी घट गई है। घोड़े, गदहे, खच्चर और भेड़ भी कम हो गए हैं। कुत्तों की संख्या में कमी आई है। हालांकि, गाय के दूध की मांग बढ़ने से डेयरी उद्योग बढ़ रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत गोपालन कम हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों से गांवों में भी बहुत कम परिवारों में गाय पालन हो रहा है।कुत्ता और घोड़ा पालन का शौक घटा राज्य में हुए पिछले दो पशुगणना की रिपोर्ट पर गौर करें तो राज्य में ऊंटों की संख्या मात्र 88 रह गई है। ऊंटों की संख्या में 99 प्रतिशत की कमी आई है। 2012 की पशुगणना में ऊंटों की संख्या 8860 थी, 2019 की पशुगणना में यह घटकर मात्र 88 रह गई। अभी चल रही 21वीं पशुगणना में इसकी संख्या और कम रह जाएगी। गदह...
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