नई दिल्ली, सितम्बर 6 -- भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है। इन दिनों लोग अपने परिवार में मरे पूर्वजों, पिता-माता, दादा-दादी आदि मृतकों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते हैं। इन पूर्वजों को ही पितृ बोला जाता है। पितृ के लिए दान-पुण्य करना फलदायी होता है और मान्यता है कि इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। अब एक बाद तो समझ आ गई होगी कि पिंड दान हमेशा मरने के बाद अगली पीढ़ी का वंशज देता है। गया में पिंडदान देने और पितृों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य करने दूर-दूर से लोग आते हैं। लेकिन क्या आपने कोई ऐसी जगह सुनी है जहां लोग खुद का ही पिंडदान करें।गया में बना है आत्म पिंडदान का मंदिर गया में पितरों का श्राद्ध,तर्पण और पिंड दान करने के बाद कुछ भी बचता नही है। मान्यता है कि...