कौशाम्बी, जून 30 -- मंझनपुर, संवाददाता अलवारा झील में बड़े पैमाने पर कमल का फूल होता है। गर्मी के मौसम में इसके पत्ते जल जाते हैं, लेकिन बारिश होते ही पत्ते दोबारा हरे-भरे हो जाते हैं और अलवारा झील की शोभा में चार चांद लगा देते हैं। कमल के फल से लोग मखाना बनाते हैं। इसकी मिठाइयां भी बनती हैं। लगभग 2200 बीघे में फैली अलावरा झील स्थानीय लोगों को रोजगार भी देती है। स्थानीय लोग फल को तोड़कर लाते हैं और सीधे ठेकेदार को बेचते हैं। इसके बाद ठेकेदार इन फलों को चित्रकूट, कानपुर, वाराणसी के व्यापारियों को बेचते हैं। इसकी डिमांड रहती है। बारिश शुरू होते ही व्यापारी सक्रिय हो गए हैं। अलवारा झील के ठेकेदार अरविंद तिवारी ने बताया कि कमल के फल के साथ ही कमल का फूल भी बिकता है। स्थानीय लोग इसे निकालकर बेचते हैं। व्यापारी सीधे स्थानीय लोगों से इस कारोबार मे...
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