नई दिल्ली, नवम्बर 5 -- एक आदमी अपनी सुनने की क्षमता खोता जा रहा था, मगर वह अपनी इस कमजोरी को मानने को तैयार न था और ऐसा दिखावा करता, जैसे उसे कुछ हुआ ही नहीं है। एक दिन, उसके दोस्त ने बताया कि पड़ोस में रहने वाले बुजुर्ग बहुत बीमार हैं और उनकी मिजाजपुर्सी के लिए उसे जाना चाहिए, क्योंकि उनका कोई रिश्तेदार उनसे मिलने नहीं आता। बहरे हो रहे आदमी ने किसी तरह समझ लिया कि उसका दोस्त उसे क्या बता रहा है। उसने उसी दिन बीमार बुजुर्ग से मिलने का वादा किया। वादा तो उसने कर दिया, मगर पसोपेश में पड़ गया कि वह बात कैसे करेगा? वह तो इतने कमजोर हो गए होंगे कि शायद फुसफुसाकर बोल पाएं? मगर कोई चारा न था। उसने तय किया कि वह उनके होंठों की जुंबिश पढ़कर समझेगा कि वह क्या कह रहे हैं और उसी हिसाब से जवाब देगा। फिर भी, बचाव के तौर पर उसने अपने मन में खुद के सवाल ...