उन्नाव, अक्टूबर 29 -- उन्नाव, संवाददाता। बस में सफर मतलब खतरो में जान। यह हाल जिले भर में दौड़नी वाली बसों का है। सरकारी और निजी बसो का हाल तो काफी खराब है। इन बसों में बैठने के लिए न तो बेहतर सीटें है और न सुरक्षा और स्वास्थ्य के बंदोबस्त। जो प्रबंध है वह केवल सुरक्षा का एहसास कराने तक सीमित है बचाव की इच्छा इनसे करना बेईमानी होगी। ऐसे में सरकारी और निजी प्रबंधन की सेवाओं पर निर्भर रहे तो जिंदगी पर खतरा बनना तय मानिए। स्कूली बसों का हाल भी कुछ ज्यादा ठीक नहीं है बस के चालकों की रफ्तार पर नियंत्रण नहीं है। कई मानक इनसे भी दूर है। जनपद में बस स्टॉप से सरकारी बसों का संचालन होता है। यहां से दिल्ली, आगरा, गोरखपुर, हरदोई, बेलग्राम के अलावा जिले के बांगरमऊ, पुरवा, बीघापुर तमाम रुटों पर इनकी रफ्तार देखी जाती है। जबकि निजी बसें शहर के आईबीपी, मोत...
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