कानपुर, मार्च 18 -- हम सिर्फ कारोबारी ही नहीं बल्कि हमारी पहुंच हर घर तक है। पीढ़ियों से बर्तनों का व्यापार करके परिवार चला रहे हैं। कुछ साल पहले तक सबकुछ अच्छा रहा। हमारी छोटी से छोटी परेशानियों का निदान चुटकियों में होता था लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अब न तो समस्याएं सुलझती हैं और न ही हमारी बातों को कोई गंभीरता से लेता है। सरकारी अफसर तो ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे हम बर्तन और स्क्रैप कारोबारी नहीं, बल्कि चोर-उचक्के हैं। बार-बार यह स्थिति होने से अब मन उचट चुका है। हमें तमाम तकलीफों से जूझता देख बच्चे इस कारोबार में नहीं आना चाहते। उनका साफ कहना है कि राजस्व देने के बाद भी अपमान वह बर्दाश्त नहीं करने वाले हैं। कानपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के विकास में बर्तन, स्क्रैप कारोबार हमेशा से आगे रहा। हटिया, भूसाटोली से शुरू व्यापार शहर के एक दर्जन...
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