नई दिल्ली, अगस्त 8 -- हर वर्ष 9 अगस्त को राष्ट्रीय पुस्तक प्रेमी दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए समर्पित है, जिन्हें पढ़ने से प्रेम है, जिनके लिए पुस्तकें सिर्फ ज्ञान का साधन नहीं, बल्कि आत्मिक संतुलन और मानसिक यात्रा की दिशा होती हैं। लेकिन आज के समय में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या हम वास्तव में अभी भी 'पुस्तक प्रेमी' समाज रह गए हैं? कुछ दशक पहले तक पुस्तकें ज्ञान, मनोरंजन और जीवन मूल्यों का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत थीं। घर में एक छोटी-सी लाइब्रेरी होना गर्व की बात होती थी। जो लोग पुस्तकें खरीद नहीं पाते थे, वे नगर पालिकाओं या संस्थागत पुस्तकालयों का सहारा लेते थे। वहां एक अकाउंट खुलता था, किताबें इश्यू होती थीं, और पढ़कर वापस कर दी जाती थीं। यह एक संस्कार था, ज्ञान साझा करने का संस्कार। मगर डिजिटल युग के आगमन के बाद यह परं...
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