बागपत, मई 12 -- बड़ौत। आर्य समाज बड़ौत एवं आर्य समाज पट्टी चौधरान में रविवार को आयोजित साप्ताहिक यज्ञों में वैदिक विचारक प्रीतम सिंह आर्य ने कहा कि बच्चों को विद्वान और संस्कारी बनाने में माता-पिता एवं गुरु की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि एक विदुषी माता, शिष्टाचारी पिता और ज्ञानवान आचार्य, ये तीन उत्तम शिक्षक हैं, जिनके माध्यम से बालक ज्ञानवान और कुल को गौरवान्वित करने वाला बनता है। उन्होंने कहा कि वह संतान भाग्यशाली होती है, जिसके माता-पिता वैदिक धर्म में निष्ठावान एवं विद्वान होते हैं। प्रीतम सिंह आर्य ने कहा कि माता गर्भाधान से लेकर शिक्षा पूर्ण होने तक बच्चों को सदाचार व सुशीलता का पाठ पढ़ाती है, इसलिए उसे 'मातृमान' कहा गया है। उन्होंने माता-पिता व गुरुजनों से अपील की क...