बरेली, नवम्बर 10 -- परिषदीय विद्यालयों में प्रधानाध्यापक और शिक्षक मोबाइल स्क्रीन में उलझने को मजबूर हैं। कोई प्रेरणा एप न खुलने से परेशान है, तो कोई निपुण लक्ष्य एप पर छात्रों की प्रगति रिपोर्ट भरने में जूझ रहा है। कभी नेटवर्क कमजोर पड़ता है, तो कभी डेटा अपलोड अधूरा रह जाता है। डिजिटल युग की यह तस्वीर अब शिक्षण व्यवस्था की नई हकीकत बन चुकी है, जहां बच्चों के बीच खड़ा शिक्षक अब किताबों से ज्यादा एप्स में व्यस्त दिखाई देता है। शिक्षकों का कहना है कि उनके फोन में अब तक 40 से अधिक एप इंस्टॉल हैं। निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोगी भारत, पीएफएमएस, ई-कवच, यू-डायस, शारदा, समर्थ, खेलो इंडिया, फिट इंडिया, निष्ठा, परख, प्रेरणा डीबीटी, ज्ञान समीक्षा, किताब वितरण, स्वच्छ विद्यालय, हरितिमा अमृत वन और कई अन्य एप इन सभी पर हर दिन रिपोर्टिंग करनी ह...