चंदौली, जून 15 -- पीडीडीयू नगर, हिटी।'पिता रोटी है कपड़ा है मकान है, पिता नन्हें से परिंदे का बड़ा आसमान है, पिता है तो घर में प्रतिपल राग है, पिता से मां की चूड़ी बिंदी और सुहाग है, पिता है तो बच्चों के सारे सपने हैं, पिता है तो बाजार के सब खैलौन अपने हैं...। पिता पर किसी कवि की कही गई यह लाइनें किसी भी बच्चे के लिए पिता के महत्व, उनके संघर्ष की अहम भूमिका को दर्शाता है। ऐसे ही पीडीडीयू नगर में एक पिता की कहनी है जो बच्चों की परवरिश के लिए मकान तक बेच दिए। ऐसे हैं नगर के रहने वाले संजीव अग्रवाल। संजीव अपनी मेहनत से कोयले के कारोबार को परवाना चढ़ाया लेकिन समय ने साथ छोड़ दिया तो सब कुछ बिखर गया। स्थिति यह हुई कि जब बच्चे पढ़ने के लिए जाने लगे तो स्कूल की फीस देना मुश्किल हो गया। स्थित यह हो गई थी कि एक कोयला व्यापारी होते हुए भी समय खराब ...
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