नई दिल्ली, जून 2 -- बचपन सपनों का दौर होता है। यही वो समय होता है जब बच्चे अपनी कल्पनाओं की उड़ान पर होते हैं। वो नई-नई चीजों को सीखते हैं और अपने अंदर के टैलेंट को पहचानते हैं। लेकिन कई बार पेरेंट्स और टीचर्स के सही मार्गदर्शन की कमी की वजह से बच्चों का ये टैलेंट कहीं दब सा जाता है। पेरेंट्स और टीचर चाहते हैं कि बच्चा सफल बनें, लेकिन अधिकतर मामलों में उनके लिए सफलता की डेफिनेशन इंजीनियर, डॉक्टर, आईएएस या कोई और रेस्पेक्टेड जॉब मात्र है। पेरेंट्स और टीचर की इसी चाहत की वजह से बच्चों का इंट्रेस्ट और उनका खास हुनर कहीं पीछे छूट जाता है। नतीजा यह होता है कि दुनिया को एक और टैलेंटेड पेंटर, लेखक, सिंगर या संगीतकार को खोना पड़ता है। चलिए जानते हैं पेरेंट्स और टीचर कैसे जाने-अनजाने में बच्चे के टैलेंट को कहीं दबा देते हैं।सपनों को 'करियर' की नजर...