नई दिल्ली, मई 25 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। हाईकोर्ट ने एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि बच्चे का भरण-पोषण माता-पिता की जिम्मेदारी है, न कि कोई उपकार है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि बच्चों की परवरिश में लिंग का भेदभाव नहीं होना चाहिए। संरक्षक महिला है या पुरुष, इसका कोई मतलब नहीं रहता है। अदालत ने यह टिप्पणी एक पारिवारिक मामले में की है। जिसमें पारिवारिक अदालत ने पति को अपनी पत्नी व दो बच्चों को प्रतिमाह 50 हजार रुपये भरण-पोषण के रूप में देने के निर्देश दिए थे। पति ने अदालत के निर्देश को चुनौती दी थी। जिसको हाईकोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि भरण-पोषण का मतलब गैर-संरक्षक माता-पिता को छोटा करना या दंड देने के समान नहीं है। जितनी चुनौतियां एक पिता के सामने होती हैं, वे स्थितियां...