किशनगंज, अगस्त 9 -- किशनगंज। एक प्रतिनिधि मातृ -शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए गर्भवती महिला का प्रसव पूर्व सभी जांच और संस्थागत प्रसव सबसे जरूरी है। संस्थागत प्रसव के बजाए गृह प्रसव के दौरान संक्रमण, अधिक रक्तस्राव, समय पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप की कमी, और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की अनुपस्थिति जैसे जोखिम आम हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के जीवन को संकट में डालते हैं। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि हर गर्भवती महिला तक संस्थागत प्रसव की सुविधा, सुरक्षा और जानकारी पहुंचाई जाए। गृह प्रसव के कारण जिले में अक्सर नवजातों का पहला टीकाकरण तक समय से नहीं हो पाता, जिससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रह जाती है और विभिन्न संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, बिना चिकित्सकीय निगरानी के प्रसव से मातृ-मृत्यु की संभावना तीन गु...