प्रयागराज, अप्रैल 24 -- शब्द प्रतिबंधित हो सकते हैं, लेकिन फोटो प्रतिबंधित नहीं की जा सकती है। एक फोटो पत्रकार को खबरों की समझ होना बहुत जरूरी होता है। उसे यह भी देखना होता है कि वह जो दृश्य कैमरे में कैद कर रहा है, उसका लोगों पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा। यह बात प्रख्यात फोटो पत्रकार जगदीश यादव ने कही। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज में 'बदलती दुनिया में फोटो पत्रकारिता विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इस अवसर पर उनकी पुस्तक 'व्यू फाइंडर... तमाशा मेरे आगे का विमोचान भी किया गया। सेंटर के कोर्स समन्वयक डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कहा कि पुस्तक व्यू फाइंडर मीडिया के छात्रों एवं फोटो पत्रकारिता में रुचि रखने वालों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्ध होगी। उन्होंने फोटो पत्रकारिता के नए आयाम की बात करते हुए कहा कि फोटोग्राफी 'माइंड डिज़ाइनिंग ...