वाराणसी, जुलाई 18 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। 'पद्मावत की तरह स्त्री और पुरुष के ऐसे अनोखे संबंध की कल्पना कर पाना आज भी संभव नहीं है। यह रतनसेन और पद्मावती के प्रेम की ही नहीं, हीरामन और पद्मावती की मित्रता की भी कथा है। जायसी एक सूफी कवि थे लेकिन 'पद्मावत की रचना उन्होंने अपने सूफीपन का प्रचार करने के लिए नहीं की थी। विख्यात आलोचक और जेएनयू के पूर्व आचार्य प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल ने बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के महिला अध्ययन एवं विकास केंद्र में आयोजित व्याख्यान-सह-कवितापाठ कार्यक्रम में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि पद्मावत प्रेम की पीड़ा को अभिव्यक्ति देने वाला महाकाव्य है। जायसी ने इस काव्य में यथार्थलोक और फैंटसीलोक दोनों को साथ साधा है। व्याख्यान के बाद सभागार में उपस्थित शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने मंचस्थ अतिथियों से...